Download lyrics &pdf SankatMochan Hanumanashtak bhajan from channel divya narendra chanchal full lyrics
Bhajan
Sankatmochan Hanumanashtak

-:-Details-:-
Name - Sankatmochan
Singer - Narendra Chanchal
Tags - Divya Channel, Hanuman Ji
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-:-:-:-:-Lyrics-:-:-:-:-
बाल समय रवि à¤à¤•्षी लियो तब, तीनहुं लोक à¤à¤¯ो अँधियारो I
ताहि सो त्रास à¤à¤¯ो जग को, यह संकट काहू सो जात न टारो II
देवन आनि करी बिनती तब, छाड़ दियो रवि कष्ट निवारो I
को नहीं जानत है जग में कपि, संकट मोचन नाम तिहारो II
बालि की त्रास कपीस बसे गिरि, जात महा प्रà¤ु पंथ निहारो I
चौंकि महा मुनि श्राप दियो तब, चाहिये कौन बिचार बिचारो II
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कै द्विज रूप लिवाय महाप्रà¤ु, सो तुम दास के शोक निवारो I
को नहीं जानत है जग में कपि, संकट मोचन नाम तिहारो II
अंगद के संग लेन गये सिया, खोज कपीस यह बैन उचारो I
जीवत ना बचिहौ हम सो जो, बिना सुधि लाये यहाँ पगु धारौ II
हेरि थके तट सिन्धु सबै तब, लाये सिया सुधि प्राण उबारो I
को नहीं जानत है जग में कपि, संकट मोचन नाम तिहारो II
रावण त्रास दई सिया को तब, राक्षसि सों कहि शोक निवारो I
ताहि समय हनुमान महाप्रà¤ु, जाय महा रजनी चर मारो II
चाहत सिया अशोक सों आगि सु, दें प्रà¤ु मुद्रिका शोक निवारो I
को नहीं जानत है जग में कपि, संकट मोचन नाम तिहारो II
बाण लाग्यो उर लक्ष्मण के तब, प्राण तज्यो सुत रावण मारो I
ले गृह वैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सो वीर उपारो II
आनि सजीवन हाथ दई तब, लक्ष्मण के तुम प्राण उबारो I
को नहीं जानत है जग में कपि, संकट मोचन नाम तिहारो II
रावण युद्ध अजान कियो तब, नाग कि फाँस सबै सिर दारो I
श्री रघुनाथ समेत सबै दल, मोह à¤à¤¯ो यह संकट à¤ारो II
आनि खगेस तबै हनुमान जु, बंधन काटि सुत्रास निवारो I
को नहीं जानत है जग में कपि, संकट मोचन नाम तिहारो II
बंधु समेत जबै अहिरावण, लै रघुनाथ पातळ सिधारो I
देविहिं पूजि à¤à¤²ि विधि सो बलि, देउ सबै मिलि मंत्र विचारो II
जाय सहाय à¤à¤¯ो तब ही, अहिरावण सैन्य समेत संघारो I
को नहीं जानत है जग में कपि, संकट मोचन नाम तिहारो II
काज किये बड़ देवन के तुम, वीर महाप्रà¤ु देखि बिचारो I
कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुम सों नहिं जात है टारो II
बेगि हरो हनुमान महाप्रà¤ु, जो कछु संकट होय हमारो I
को नहीं जानत है जग में कपि, संकट मोचन नाम तिहारो II
-:-:-दोहा-:-:-
लाल देह लाली लसे ,अरु धरि लाल लंगूर I
बज्र देह दानव दलन,जय जय जय कपि सूर I।
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